वही शाम है पर उन्हें आज कुछ काम है
सर्द का मौसम और बारिश ,मानो जैसे आज तो मौसम कुछ बईमान है।
इस ठंडी हवा का उनसे होकर आना फिर मुझसे होकर कुछ यूं गुजरना मानो सालो बाद लौटी मेरी जान है।
ये जलती आग की लपटे उनका मुझे करीब बुलाना,बैठे लोगों का हाथों को गरमाना ,उस गरमाहट में मेरा आपकी यादों में खो जाना ,मेरी पलकों का कुछ यूँ झुक जाना ,मेरे चेहरे पे हल्की सी मुस्कान का आना, साथ बैठे लोगों का सपनों से जगाना, फिर मुझे चिढ़ाना।
मेरा कुछ इस तरह सरमाना ,आईने में आकर जाने क्यूं खुद को निहारना……..
जानते हो मुझे कुछ इस तरह महसूस होना, की मेरे हाथों में आपके हाथ का आना,मुड़कर पीछे देखा तो साथ में आपको पाना,मानो जैसे मेरे सपनों का सच्च सा हो जाना…..
आखिर में इस सुहानी शाम को चार चाँद का लग जाना…………….
बस वही शाम है आज भी ये दिल परेशान है